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भटके हुए राजनेता और अन्धकार की ओर अग्रसर महान विभूतियों का एक देश…

Vichaar-Vimarsh
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कॉंग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है जिससे आम आदमी तंग और परेशान हो चुका है इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जायेगा. चलो अच्छी बात है लेकिन मुद्दे की बात यह भी कि राहुल गांधी ऐसा कह क्यूँ रहे हैं जबकि सरकार तो उन्ही की पार्टी की है और फिर इतना सत्यवादी होना उन्हें चुनावी- दौर में ही क्यूँ याद आता है, जबकि उन्हें भी यह बात अच्छी तरह से पता चल चुकी है की उनकी बातें जनता मात्र एक स्टेटमेंट से अधिक कुछ नहीं समझती है, उनके ऊपर उनकी पार्टी कांग्रेस का भविष्य निर्भर करता है ऐसे में यदि उसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की बातों पर कोई विश्वास नहीं कर रहा हो तो इससे बुरी बात उस राजनैतिक पार्टी के लिए और कोई नहीं हो सकती है, इसलिए राहुल गांधी को एक आम सुझाव है कि अपनी पार्टी में उन्हें अपना प्रभुत्व बढ़ा कर के अधिक प्रभावी होना चाहिए और अपने व्यक्तित्व कि सच्चाई सही मायने में आम जन तक पहुचानी चाहिए यह इसलिए भी आवश्यक है कि आप युवा हैं और इस देश को एक प्रभावी राजनेता चाहिए जो एक नई सोच रखता हो, नया दृष्टिकोण रख कर देश का नेतृत्व कर सके क्यूंकि जनता को सरकार नहीं चलानी उसके लिए तो जनता राजनेताओं को चुन कर लाती है अब ऐसे में यदि उसके द्वारा चुने गए नेता ही उसका व उसके देश का बंटाधार कर देंगे तो फिर इस स्थिति में ऐसे ही जनता की आवाज एक नया रूप लेकर सामने आती रहेंगी जैसा की हमने आऩ आदमी पार्टी के रूप में देखा है, यह पार्टी इस समय निश्चित ही आम जन के ह्रदय पर राज करेगी क्यूंकि जनता अपने नेताओं से आहत, दुखी है अपितु यह सरकार अपने दिए वचनो पर कितना खरा उतरती है यह तो आने वाला समय बताएगा किन्तु अपने इस सम्पूर्ण लेख के माध्यम से यही कहना चाहता हूँ कि चाहे जो करो पर देश में समृद्धि , खुशहाली, शान्ति व भाईचारा आवश्यक रूप से होनी ही चाहिए और इन सब से किसी स्थिति में कोई भी पार्टी मुह न मोड और इनकी अनदेखी न करे.

अंत में देश आपको चलाना है आम जन की नहीं इसलिए उनकी भावनाओ का सम्मान का सदैव ध्यान रखे क्यूंकि जब आप जैसे युवा राजनेता भी वही पुराने समझ से परे विचारो की राजनीति करेंगे तो फिर इस देश के भविष्य का निश्चित ही आकलन सही रूप में नहीं किया सकेगा, हम तो मतदाता हैं जिन्हे एक राजनेता चुनना है फिर चाहे वो नेता आप हो या नरेंद्र मोदी कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है बस यदि हमें कुछ चाहिए तो वो हमारा विकास, हमारे देश का विकास, इसकी समृद्धि, शान्ति-भाईचारा.

ऐसे विचारों के संग एक आदर्श नेता की प्रतीक्षा में, मैं मेरे जैसे करोड़ों मतदाताओं की ओर से सभी सत्ता के मोह के लिए प्रयासरत नेताओ/राजनेताओं को उनके विजय शंखनाद रैली, विकास रैली और न जाने क्या क्या, की सटीक व सम्पूर्ण सफलता के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ.

शुभ आमचुनाव २०१४.

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